महंगाई ने ली आम आदमी की जान....
वहीँ उद्योगपतियों को है आराम...
सरकार ने ली है कमर तोड़ने की ठान...
न कण्ट्रोल है नक्सलवाद पे...
ना जोर है आतंक वाद पे...
आपसी रिश्तों को बढ़ने चले हैं पाकिस्तान...
फायेदा नहीं इस मिलाप से क्यूंकि कश्मीर में अटकी है जान...
कुर्सी की ये रेल है...
पक्ष - विपक्ष का ये खेल है...
देश को चलाने की ये मेल है...
हो जाती जो हर वक़्त फेल है...